भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी: ₹30,900 करोड़ का खर्च

नई दिल्ली: भारत-म्यांमार की 1,701 किमी लंबी सीमाओं को बाड़ लगाने की योजना को केंद्रीय सुरक्षा समिति ने मंजूरी दे दी है। यह परियोजना लगभग ₹30,900 करोड़ की लागत से पूरी होगी। इस सीमा को बाड़बंदी का उद्देश्य सीमा पर अवैध गतिविधियों को रोकना और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
परियोजना की पृष्ठभूमि
भारत-म्यांमार की सीमा कई वर्षों से विवाद और अवैध गतिविधियों का केंद्र रही है। यह सीमा बहुत ही लंबी और पारगम्य है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता और अपराध गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। खासकर, मणिपुर में जातीय हिंसा की समस्याओं को संबोधित करने के लिए इस बाड़बंदी की आवश्यकता महसूस की गई है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को बताया कि बाड़बंदी का काम 30 किमी की दूरी पर पूरा हो चुका है। उन्होंने इसे मणिपुर में जातीय हिंसा की जड़ बताते हुए कहा कि इससे क्षेत्रीय सुरक्षा में सुधार होगा और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
बाड़बंदी की योजना

भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी के निर्माण की योजना को केंद्रीय सुरक्षा समिति द्वारा इन-प्रिंसिपल मंजूरी दी गई है। यह परियोजना 1,701 किमी लंबी सीमा पर बाड़ और सड़क निर्माण शामिल करेगी। यह बाड़बंदी न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें विभिन्न तकनीकी और निर्माण संबंधित चुनौतियों का सामना भी करना होगा।
परियोजना की लागत और समयसीमा
इस बाड़बंदी परियोजना की कुल लागत ₹30,900 करोड़ अनुमानित है। इसमें सीमा पर बाड़ लगाने के साथ-साथ सड़कों का निर्माण भी शामिल है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए सरकार ने एक विस्तृत समयसीमा निर्धारित की है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा कि निर्माण कार्य समय पर पूरा हो और गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरे।
सुरक्षा और सीमा पर अवैध गतिविधियाँ
भारत-म्यांमार सीमा पर अवैध गतिविधियाँ, जैसे कि हथियार और नशीली दवाओं की तस्करी, एक बड़ी समस्या रही है। इस सीमा की पारगम्यता ने अपराधियों को भारत में अवैध वस्तुओं की तस्करी के लिए एक आसान मार्ग प्रदान किया है। बाड़बंदी के निर्माण से इन गतिविधियों पर रोक लगाने की उम्मीद है और सीमा की सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा।

मणिपुर में जातीय हिंसा
मणिपुर में जातीय हिंसा के हालिया घटनाक्रम ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस हिंसा को सीमा पर सुरक्षा की कमजोरियों के कारण बताया है। बाड़बंदी का निर्माण इस हिंसा की जड़ों को समाप्त करने और क्षेत्रीय शांति को बहाल करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
सरकार का दृष्टिकोण
सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस बाड़बंदी से न केवल सीमा की सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि अवैध गतिविधियों पर भी काबू पाया जा सकेगा। इसके अलावा, यह परियोजना स्थानीय बुनियादी ढांचे को भी बेहतर बनाने में योगदान करेगी, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।
स्थानीय जनसंख्या और विकास
बाड़बंदी परियोजना से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली स्थानीय जनसंख्या को भी लाभ होने की संभावना है। स्थानीय विकास कार्य, जैसे कि सड़क निर्माण और बुनियादी सुविधाओं में सुधार, क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान करेंगे। इसके साथ ही, यह रोजगार सृजन का भी एक अवसर प्रदान करेगा।

चुनौतियाँ और समाधान
इस विशाल परियोजना के दौरान कई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि भौगोलिक बाधाएँ, जलवायु की स्थिति, और स्थानीय सामाजिक मुद्दे। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार ने एक समग्र योजना तैयार की है, जिसमें तकनीकी और निर्माण विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।